राष्ट्रीय महासचिव (संगठन )‌ चौ० शेर सिंह की कलम से
ॐ एक बनो नेक बनो संकल्पित रहो। ॐ

राष्ट्रीय महासचिव (संगठन )‌ चौ० शेर सिंह की कलम से ::–
ॐ एक बनो,नेक, बनो और संकल्पित रहो। ॐ
उत्तम विचार प्रवाह ही मेरे दैनिक जीवन का आधार रहे हैं।इसके लिए मैं स्वयं को हम के लिए समर्पित करते हुए समाज का सहयोग/मार्ग दर्शन करना अपनी नैतिक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करता हूं।

हम समाज की स्थापित इकाई है , ना किसी से अधिक और ना ही कम ।।3000 से अधिक गांव को आपस में समेटे हुए हम सभी जाट समान है, ना कोई छोटा ,ना कोई बड़ा, ना कोई ऊंचा, न कोई नीचा, ना कोई आगे, ना ही कोई पीछे।। विश्व के हर देश में बसे हुए सजातीय बन्धुओं , परिवारों एवं भारत देश के हर, गांव, शहर में बसे अपने सजातीय परिवारों में ऐसी भावना का बीजारोपण करना चाहिए कि हम सब एक हैं ,हम नेक हैं एवं वीर ,गंभीर, धीर और प्रतिभावान बनते हुए सभी को समान रूप से बढ़ाने में सहयोगी भूमिका में रहेंगे। जातीय एकता का निरूपण करते हुए संपूर्ण जगत में अपने गुण एवं मधुर संबंधों के आधार पर समाज के अन्य सुजातीय छोटे-छोटे संगठनों को भी एक बैनर तले लाकर मिलकर बड़ा होने का प्रयास लगातार करना ही चाहिए।

कोई भी मंत्र बिना अक्षर के नहीं बनता है ,,,कोई भी दवा बिना किसी जड़ के नहीं बनती है,,,
प्रभु परमेश्वर की बनाई गई इस प्रकृति व्यवस्था में कोई भी पुरुष अयोग्य नहीं है।
सिर्फ योजनाकार ही दुर्लभ है , बस सोचना ही है कि क्या मैं भी योजना कर हो सकता हूं ?
मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि यदि आपने ऐसा सोच लिया तो आपको योजनाकार बनने में स्वयं प्रभु परमेश्वर मददगार होंगे और आप कर भी पाएंगे।

मेरी जिम्मेदारी सामाजिक स्तर पर हिंसा ,आतंकवाद, अंधविश्वास ,कुरीतियोंजैसे कि दहेज प्रथा, सती प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या ,बाल विवाह, अन्तर्जातीय व सगोत्र विवाह, नशा, मृत्यु भोज का विरोध करते हुए विधवा विवाह को प्रोत्साहन देकर अपने परिवार में कम से कम चार बच्चे पैदा करना ही चाहिए ।।।ऐसी विचारधारा का प्रभाव विश्व में करना ही है,जिससे सामाजिक ताने बाने के सारे रिश्ते फिर से बहाल हो पाऐं ।

आज चाचा, ताऊ, मामा, मौंसा ,फूफा के रिश्ते दिखने में नहीं आ रहे हैं। यहां हम सभी धनोपार्जन को लक्ष्य बनाकर पढ़ा रहे हैं, वहीं परिवार में संख्या का घटना भी एक नई समस्या बनता दिख रहा है। एवं हम कम हो रहे हैं, तो कमजोर भी रहेंगे ही।।। फिर यदि यह समझ में आ रहा है तो क्या, क्यों नहीं, आज से ही, अपनों से ही शुरुआत कर अभियान की दिशा में संकल्पित होकर आगे बढ़ें।

समाज में एकता से ही ,संगठन शक्ति का विकास होता है ।।।इस एकता के बल पर हम समाज को विकास ,उन्नति, प्रगति, प्रेम ,भाईचारा, सद्भावना के रास्ते पर लेकर चल सकते हैं।

अपने बच्चों की शादी को सनातन पद्धति से , सामाजिक रीति रिवाज से करते हुए बारात की चढ़त और डीजे के भारी शोर से हो रही अहम की पूर्ति से हो रहे नुकसान से बचा जा सकता है।

हम समाज के उत्थान में क्या सहयोग कर सकते हैं ? आज यह एक यक्ष प्रश्न है।।।
इसके उत्तर के लिए अपनी क्षमता के अनुरूप देवतुल्य इस जाट समाज के उत्थान का कार्य हम सभी कर सकते हैं। स्वस्थ, निरोगी, क्रियाशील, सदाचारी, शाकाहारी रहते हुए अपने कार्यों को पूर्ण निष्ठा ,ईमानदारी,लगन एवं विश्वास के सहारे हम इस पुनीत कार्य को करने की सोचेंगे ,तो प्रभु परमेश्वर परमेश्वर हमारी मदद अवश्य करेंगे।

हस्ताक्षर
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